कृषि समाचार

भारी बारिश से खरीफ फसलें बर्बाद, ये राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित

भारी बारिश

नई दिल्ली: देश के कई राज्यों में सितंबर और अक्टूबर के दौरान सामान्य से अधिक बारिश हुई है। इस भारी बारिश से खरीफ फसलें बर्बाद हुई हैं। खासकर महाराष्ट्र, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों में खेतों में पानी भरने के कारण फसलें पूरी तरह खराब हो गई हैं। वहीं, देश के पश्चिमी और पूर्वी हिस्सों में अभी भी बारिश का दौर जारी है, जिससे फसल की कटाई में देरी हो रही है। कृषि मंत्रालय ने जानकारी दी है कि राज्यों से रिपोर्ट मिलने के बाद नुकसान का आकलन किया जा रहा है।

किन फसलों पर पड़ा असर

धान, दालें, कपास और गन्ना जैसी मुख्य खरीफ फसलें इस बार सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं। लगातार हुई बारिश और जलभराव की वजह से फसलों की गुणवत्ता में गिरावट आई है और कई इलाकों में पूरी पैदावार नष्ट हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसका असर देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन पर भी पड़ सकता है।

महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा नुकसान

महाराष्ट्र में इस बार खरीफ फसलों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। राज्य के कृषि मंत्री दत्तात्रेय (मामा) भराने के अनुसार, 14.4 मिलियन हेक्टेयर बोए गए क्षेत्र में से करीब 6.8 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र बारिश से प्रभावित हुआ है। सोयाबीन, मक्का, कपास, उड़द, तूअर, मूंग, सब्जियां, फल, बाजरा, गन्ना और प्याज जैसी प्रमुख फसलों को भारी नुकसान हुआ है। अगस्त में हुए नुकसान के आकलन के आधार पर ₹2,215 करोड़ की सहायता दी जा रही है, जबकि सितंबर के नए आंकड़ों के अनुसार अतिरिक्त राहत राशि जल्द घोषित की जाएगी।

पंजाब और राजस्थान की स्थिति

पंजाब में करीब 0.5 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र की फसलें प्रभावित हुई हैं। राज्य सरकार ने किसानों की मदद के लिए रबी फसल के तहत मुफ्त गेहूं बीज वितरण शुरू किया है। वहीं, राजस्थान में बारिश के कारण कटाई के बाद खेतों में पड़ी फसलें भीग गई हैं, जिससे नुकसान और बढ़ गया है। राज्य सरकार ने फसल बीमा योजना के तहत किसानों को 14 दिन के भीतर मुआवजा देने की घोषणा की है।

पश्चिम बंगाल में मिली-जुली स्थिति

चावल उत्पादन में अग्रणी पश्चिम बंगाल में स्थिति मिश्रित है। कुछ जिलों में बारिश से फसलों को फायदा हुआ है, जबकि निचले इलाकों में जलभराव के कारण नुकसान हुआ है। कृषि विभाग का कहना है कि आने वाले दिनों के मौसम की स्थिति यह तय करेगी कि कुल मिलाकर उत्पादन पर कितना असर पड़ेगा।

उत्पादन अनुमान घट सकता है

केंद्र सरकार ने 2025-26 के लिए खरीफ खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान 171 मिलियन टन लगाया था, लेकिन अब इस लक्ष्य को घटाया जा सकता है। पिछले वर्ष 2024-25 में कुल खरीफ उत्पादन 168 मिलियन टन था। इस बार लगातार बारिश और फसलों की बर्बादी से यह आंकड़ा घट सकता है।

देश में सामान्य से ज्यादा बारिश

मॉनसून सीजन (जून से सितंबर) के दौरान देश में औसतन 108% बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य से अधिक है। चारों महीनों में बारिश सामान्य से ज्यादा रही — जून में 109%, जुलाई में 105%, अगस्त में 109% और सितंबर में 115%। इससे एक तरफ जलस्रोतों का स्तर बढ़ा, तो दूसरी ओर फसलों को नुकसान पहुंचा।

आर्थिक असर पर नजर

पहली तिमाही में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 3.7% रही थी, लेकिन खरीफ फसलों के नुकसान से आने वाले महीनों में ग्रोथ पर असर पड़ सकता है। अर्थशास्त्री मानते हैं कि फसल नुकसान, उत्पादन में कमी और कीमतों में संभावित वृद्धि से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ सकता है। केंद्र और राज्य सरकारें राहत पैकेज तैयार कर रही हैं ताकि किसानों को आर्थिक सहायता मिल सके।

किसानों को दी गई सलाह

अत्यधिक बारिश ने इस साल देश के कई हिस्सों में खरीफ फसलों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे राज्य सरकारों की घोषणाओं और राहत योजनाओं पर नजर रखें। साथ ही, फसल बीमा योजना का लाभ जरूर उठाएं ताकि नुकसान की स्थिति में उन्हें आर्थिक सुरक्षा मिल सके।

ये भी पढ़ें: मध्य प्रदेश में शुरू हुई सोयाबीन भावांतर भुगतान योजना

Related posts

Leave a Comment