नई दिल्ली: किसी भी फसल की सफलता काफी हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि किसान बुवाई से पहले बीज की तैयारी कितनी अच्छी तरह करते हैं। खेत में डाले जाने वाले बीजों की गुणवत्ता, उनका अंकुरण और रोग प्रतिरोधक क्षमता बीज उपचार की प्रक्रिया पर निर्भर करती है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि बुवाई से पहले बीजों का उपचार न केवल रोग और कीटों से सुरक्षा देता है बल्कि फसल को मजबूत और स्वस्थ बनाता है।
क्यों जरूरी है बीज उपचार
बुवाई से पहले बीज उपचार करना इसलिए आवश्यक है क्योंकि इससे बीज जनित और मिट्टी जनित रोगों, कीटों और फफूंद से फसल को प्रारंभिक स्तर पर ही सुरक्षा मिल जाती है। इससे रासायनिक स्प्रे की जरूरत कम हो जाती है और रोग नियंत्रण की लागत में काफी कमी आती है। यह प्रक्रिया खेती को पर्यावरण के अनुकूल बनाती है और मिट्टी की उर्वरता पर भी सकारात्मक असर डालती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, उपचारित बीजों का अंकुरण बेहतर होता है, जिससे पौधे मजबूत और एकसमान विकसित होते हैं। इस विधि से फसल की पैदावार बढ़ती है और रासायनिक इनपुट पर निर्भरता घटती है।
कब और कैसे करें बीज उपचार
बीज उपचार हमेशा बुवाई से ठीक पहले किया जाना चाहिए। यदि उपचारित बीजों को लंबे समय तक रखा जाए तो उनकी प्रभावशीलता कम हो जाती है। बीज उपचार दो प्रमुख तरीकों से किया जाता है – जैविक और रासायनिक।
1. जैविक विधि
इस विधि में बीजों को ट्राइकोडर्मा वीरिडी जैसी जैव कवकनाशी से उपचारित किया जाता है। यह फफूंद और मिट्टी जनित रोगों से सुरक्षा देती है। जैविक खेती करने वाले किसान इस विधि को अधिक प्राथमिकता देते हैं क्योंकि यह पूरी तरह पर्यावरण हितैषी है।
2. रासायनिक विधि
इस विधि में फंगीसाइड या कीटनाशक का निर्धारित मात्रा में घोल तैयार कर बीजों को उपचारित किया जाता है। बीजों को घोल में मिलाने के बाद छाया में सुखाया जाता है और फिर तुरंत बुवाई की जाती है। छोटे पैमाने पर बीज उपचार के लिए घड़ा विधि अपनाई जा सकती है, जबकि बड़े पैमाने पर किसान सीड ड्रेसर मशीन का उपयोग करते हैं।
बीज उपचार के दौरान बरतें सावधानियां
- हमेशा अनुशंसित मात्रा में ही दवा का उपयोग करें, अधिक मात्रा फसल को नुकसान पहुंचा सकती है।
- जैविक खेती करने वाले किसान रासायनिक उपचार की जगह जैविक एजेंटों का प्रयोग करें।
- बीज उपचार के समय सुरक्षा उपकरण जैसे दस्ताने और मास्क पहनें।
- उपचारित बीजों को केवल छाया में सुखाएं, धूप में नहीं।
- उपचारित बीजों को सामान्य बीजों से अलग रखें ताकि मिश्रण न हो।
प्रमुख रबी फसलों के लिए बीज उपचार के सुझाव
गेहूं: स्मट, रस्ट, दीमक और एफिड्स से बचाव के लिए कार्बेन्डाजिम, मैनकोजेब, थिरम, टेब्यूकोनाजोल, इमिडाक्लोप्रिड का उपयोग करें।
सरसों: अल्टरनारिया ब्लाइट, स्क्लेरोटिनिया रॉट और सफेद रतुआ से बचाव के लिए थिरम, कैप्टान, मेटलैक्सिल से बीज उपचार करें।
चना: विल्ट, रूट रॉट और नेमाटोड रोगों के नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम, थिरम और ट्राइकोडर्मा वीरिडी का उपयोग करें।
मटर: पाउडरी मिल्ड्यू, रूट रॉट और डाउनी मिल्ड्यू से बचाव के लिए कैप्टान, थिरम, कार्बेन्डाजिम और ट्राइकोडर्मा वीरिडी का प्रयोग करें।
विशेषज्ञों की राय
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि बीज उपचार फसल सुरक्षा की सबसे पहली और सबसे सस्ती प्रक्रिया है। यह फसल को प्रारंभिक सुरक्षा प्रदान करती है, जिससे किसान रासायनिक स्प्रे और रोग नियंत्रण पर खर्च होने वाली बड़ी राशि बचा सकते हैं।
बीज उपचार न केवल फसल की गुणवत्ता बढ़ाने का माध्यम है, बल्कि यह किसानों के लिए एक कम लागत और अधिक लाभ देने वाला उपाय भी है। आने वाले रबी सीजन में यदि किसान इस पद्धति को अपनाते हैं, तो उनकी फसलें अधिक स्वस्थ और उत्पादक होंगी।
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