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बकरी की खुराक और देखभाल, ये 90 दिन सबसे अहम

बकरी की खुराक

नई दिल्ली: बकरी पालन करने वाले किसानों के लिए यह जानना जरूरी है कि गर्भवती बकरी के लिए बच्चा होने से पहले के 90 दिन बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान बकरी को ज्यादा पोषक आहार की आवश्यकता होती है। उसके पेट में पल रहे बच्चे को पर्याप्त ऊर्जा और पोषण मिल सके। गोट एक्सपर्ट्स का कहना है कि गर्भवती बकरी की खुराक और देखभाल से ही हेल्दी बच्चे और ज्यादा दूध उत्पादन की संभावना बढ़ जाती है।

गर्भावस्था में बकरी को चाहिए ज्यादा एनर्जी और पोषण

केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मथुरा के गोट साइंटिस्ट्स का कहना है कि गर्भवती बकरी और उसके बच्चे दोनों को पर्याप्त ऊर्जा की जरूरत होती है। इस दौरान बकरी की खुराक सामान्य दिनों की तुलना में ज्यादा होनी चाहिए। गर्भावस्था के समय बकरी को हरा चारा, सूखा चारा और दाना तीनों प्रकार का आहार दिया जाना चाहिए। बकरियां बड़े जानवरों की तरह एक बार में पेट नहीं भरतीं, बल्कि उन्हें दिन में चार से पांच बार थोड़ा-थोड़ा खिलाना चाहिए।

गर्भवती बकरी के लिए ऐसे करें खुराक की तैयारी

गोट एक्सपर्ट्स के अनुसार, बकरी को गर्भवती कराने से दो हफ्ते पहले उसकी सामान्य खुराक में सुधार करना चाहिए। अगर बकरी को सामान्य रूप से 3 किलो दाना प्रति माह दिया जाता है, तो इसमें 100 से 200 ग्राम की बढ़ोतरी कर दें। गर्भ के अंतिम चरण में, यानी बच्चा देने से एक-दो हफ्ते पहले दाने की मात्रा 300 से 400 ग्राम तक बढ़ा दें। साथ ही बकरी को हरे चारे की मात्रा भी बढ़ाकर दी जाए, ताकि उसे पर्याप्त विटामिन और मिनरल मिल सकें।

दूध देने वाली बकरी की खुराक में करें ये बदलाव

गोट एक्सपर्ट्स का कहना है कि दूध उत्पादन करने वाली बकरी को भी अतिरिक्त पोषक तत्वों की जरूरत होती है। एक लीटर तक दूध देने वाली बकरी को प्रतिदिन 300 ग्राम तक दाना खिलाना चाहिए। इसे दो बार में बांटकर दें ताकि पाचन सही बना रहे। साथ ही हरा और सूखा चारा मिलाकर रोज़ करीब 4 किलो तक आहार दें।

बकरी के वजन के अनुसार पानी की मात्रा भी तय की जानी चाहिए। सामान्य मौसम में 20 किलो वजन की बकरी को प्रतिदिन लगभग 700 एमएल पानी पिलाना चाहिए, जबकि गर्मियों में यह मात्रा डेढ़ गुनी कर देनी चाहिए।

खुले वातावरण में चरना भी जरूरी

फिशरीज और गोट एक्सपर्ट्स की तरह, गोट साइंटिस्ट्स का भी कहना है कि गर्भवती और दूध देने वाली बकरियों को खुले वातावरण में चरने दिया जाना चाहिए। इससे उनका शरीर एक्टिव रहता है और दूध उत्पादन भी बेहतर होता है। बकरियों को तीन तरह से चराया जा सकता है:

  1. खुले में चराकर,
  2. खूंटे पर बांधकर,
  3. चराने के साथ खूंटे पर बांधकर।

खुले में चराने से बकरी को प्राकृतिक पोषक तत्व मिलते हैं और उसकी सेहत बेहतर रहती है। खेत, जंगल या खुले मैदान इसके लिए सबसे उपयुक्त जगहें होती हैं।

सही खुराक से बढ़ता है दूध उत्पादन और बच्चे का वजन

CIRG के विशेषज्ञों का कहना है कि बकरी की गर्भावस्था और दूध देने के समय अगर आहार में संतुलन रखा जाए, तो बच्चा स्वस्थ पैदा होता है और बकरी से भरपूर दूध भी प्राप्त होता है। उचित खुराक में दाने, हरे चारे और खनिज मिश्रण (मिनरल मिक्सचर) को शामिल करना चाहिए।

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