नई दिल्ली: किसानों को उनकी फसलों का बेहतर मूल्य दिलाने और कृषि व्यापार को डिजिटल रूप देने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया गया है। ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM) प्लेटफॉर्म पर अब कृषि उत्पादों की कुल संख्या बढ़कर 238 हो गई है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सात नए कृषि उत्पादों को इस ऑनलाइन ट्रेडिंग पोर्टल पर शामिल करने की स्वीकृति दी है, जिससे अब ये उत्पाद भी देशभर में डिजिटल तरीके से बेचे और खरीदे जा सकेंगे।
नए उत्पादों में बिहार और उत्तर भारत के प्रमुख GI टैग उत्पाद शामिल हैं – जर्दालू आम, शाही लीची, गन्ना, मर्चा चावल, कतरनी चावल, मगही पान और बनारसी पान। इन उत्पादों की ई-नाम प्लेटफॉर्म पर उपलब्धता से किसानों को पारदर्शी बोली प्रक्रिया, बेहतर दाम और व्यापक बाजार तक पहुंच का लाभ मिलेगा। इसके साथ ही व्यापारियों को भी उच्च गुणवत्ता वाले कृषि उत्पादों की डिजिटल उपलब्धता आसान होगी। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस फैसले को कृषि व्यापार में पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने वाला कदम बताया। उन्होंने कहा कि इन सात नए उत्पादों को जोड़ने का उद्देश्य किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य दिलाना और ई-नाम की पहुंच को और विस्तृत करना है। यह पहल किसानों, व्यापारियों और राज्य एजेंसियों को डिजिटल ट्रेडिंग से जोड़कर कृषि क्षेत्र के डिजिटलीकरण को और तेज करेगी।
इसके साथ ही कृषि मंत्रालय ने सिंघाड़े का आटा, सिंघाड़ा, बेबी कॉर्न और ड्रैगन फ्रूट जैसे चार मौजूदा उत्पादों के व्यापार योग्य मापदंडों में भी बदलाव किया है। मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले विपणन एवं निरीक्षण निदेशालय (DMI) ने इन सभी नए और संशोधित उत्पादों के लिए मापदंड तैयार किए हैं, ताकि उत्पाद की श्रेणी और गुणवत्ता के आधार पर सही मूल्य निर्धारण सुनिश्चित किया जा सके। कृषि मंत्रालय के अनुसार, इस पहल से किसानों को प्रोडक्ट की गुणवत्ता के मुताबिक दाम, पारदर्शी व्यापारिक प्रक्रिया और राष्ट्रीय स्तर पर खरीदारों तक सीधी पहुंच जैसे लाभ मिलेंगे। उत्पादों के डिजिटल व्यापार से समय, लागत और बिचौलियों पर निर्भरता कम होगी, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ने की संभावनाएं भी मजबूत होंगी।
ई-नाम पोर्टल enam.gov.in पर अब ये नए स्वीकृत उत्पाद और उनके व्यापार योग्य मापदंड उपलब्ध हैं। किसानों, व्यापारियों और राज्य एजेंसियों को सलाह दी गई है कि वे इन मापदंडों के अनुसार खरीद-बिक्री की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएं। इससे न केवल उत्पादों का मूल्य निर्धारण पारदर्शी होगा, बल्कि भारत के कृषि क्षेत्र में डिजिटल सशक्तिकरण और नवाचार की दिशा में यह एक मजबूत कदम साबित होगा। ई-नाम की इस नई पहल से जहां बिहार और पूर्वी भारत के पारंपरिक GI उत्पादों को नई पहचान मिलेगी, वहीं देशभर के किसानों को राष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा का सीधा मौका मिलेगा, जिससे भारतीय कृषि के भविष्य को नई दिशा मिलने की पूरी उम्मीद है।