नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के पूसा परिसर में आयोजित “गन्ना अर्थव्यवस्था पर राष्ट्रीय परामर्श सत्र” को भोपाल से वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। अपने मुख्य अतिथि संबोधन में उन्होंने गन्ना किसानों की समस्याओं को गंभीरता से उठाया और समाधान की दिशा में कई अहम घोषणाएं कीं। सबसे बड़ी घोषणा यह रही कि ICAR में गन्ना रिसर्च के लिए एक अलग टीम बनाई जाएगी, जो नीतिगत और तकनीकी पहलुओं पर काम करेगी। यह टीम तय करेगी कि गन्ने की कौन सी वैरायटी कितने साल तक चल सकती है और रोगों से बचाव के साथ नई किस्में कैसे विकसित होंगी।
रेड रॉट रोग और वैरायटी का संकट
कृषि मंत्री ने कहा कि फिलहाल 238 गन्ना वैरायटी में चीनी की मात्रा बेहतर पाई गई है, लेकिन रेड रॉट (लाल सड़न) एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि मोनोक्रॉपिंग (एक ही फसल की बार-बार खेती) पोषण संतुलन और रोगों की दृष्टि से खतरनाक है। इस स्थिति से बचने के लिए इंटरक्रॉपिंग (अंतरवर्ती खेती) को व्यावहारिकता के लिहाज से अपनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि गन्ने की नई वैरायटी आते ही नई बीमारियां भी सामने आती हैं, इसलिए रिसर्च और विकल्पों पर लगातार काम होना चाहिए।
लागत घटाना और पानी बचाना
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि गन्ना किसानों की सबसे बड़ी जरूरत है उत्पादन लागत को घटाना और अधिक उपज लेना। इसके लिए कृषि मैकेनाइजेशन यानी आधुनिक कृषि मशीनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देना होगा। उन्होंने “Per Drop – More Crop” के सिद्धांत पर जोर दिया और ड्रिप सिंचाई को बढ़ावा देने की बात कही। मंत्री ने स्पष्ट किया कि ड्रिप सिंचाई जैसी तकनीक को अपनाने के लिए किसानों को वित्तीय सहायता और प्रोत्साहन की जरूरत है।
इथेनॉल और बायोप्रोडक्ट से आय में वृद्धि
अपने संबोधन में चौहान ने कहा कि गन्ना केवल चीनी उत्पादन तक सीमित नहीं रहना चाहिए। इथेनॉल और मोलासेस जैसे बायोप्रोडक्ट्स से किसानों की आमदनी बढ़ सकती है। इसके लिए वैल्यू चेन को मजबूत बनाने और रिसर्च को तेज करने की जरूरत है। साथ ही, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर रासायनिक खाद पर निर्भरता कम की जा सकती है।
भुगतान में देरी और ट्रेनिंग की जरूरत
गन्ना किसानों को अक्सर समय पर भुगतान न मिलने की समस्या पर भी मंत्री ने चिंता जताई। उन्होंने कहा कि किसानों की आय को सुरक्षित बनाने के लिए भुगतान व्यवस्था में सुधार लाना होगा। इसके साथ ही किसानों की ट्रेनिंग और कैपेसिटी बिल्डिंग पर ध्यान देने की जरूरत है, ताकि वे नई तकनीक और आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाकर आत्मनिर्भर बन सकें।
गन्ना किसानों के लिए यह परामर्श सत्र कई नई उम्मीदें लेकर आया है। ICAR में अलग रिसर्च टीम का गठन, इंटरक्रॉपिंग को बढ़ावा, ड्रिप सिंचाई पर जोर, इथेनॉल और बायोप्रोडक्ट से आय में वृद्धि और भुगतान व्यवस्था में सुधार जैसे कदम गन्ना अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने में अहम साबित हो सकते हैं।
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