नई दिल्ली: भारत में किसानों के लिए ट्रैक्टर सिर्फ एक मशीन नहीं, बल्कि खेती का आधार है। यह न केवल जुताई, बुवाई और कटाई जैसे कामों को आसान बनाता है, बल्कि आधुनिक उपकरणों के इस्तेमाल में भी मददगार है। ऐसे में सही ट्रैक्टर का चुनाव करना किसानों की आर्थिक स्थिति और उत्पादकता के लिए बेहद अहम हो जाता है। लेकिन अक्सर जल्दबाजी या गलत सलाह के चलते किसान कुछ सामान्य गलतियां कर बैठते हैं, जिनकी वजह से लंबे समय तक उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है।
खेती और जरूरत के हिसाब से ट्रैक्टर न चुनना
सबसे आम गलती है ट्रैक्टर का चयन करते समय खेत के आकार और खेती की जरूरतों का ध्यान न रखना। छोटे खेतों के लिए ज़्यादा हॉर्सपावर वाला ट्रैक्टर अनावश्यक खर्चा साबित हो सकता है, वहीं बड़े खेतों में कम-पावर वाला ट्रैक्टर पर्याप्त नहीं होगा। मिट्टी का प्रकार, फसल पैटर्न और खेती का तरीका देखकर ही सही ट्रैक्टर का चुनाव करना चाहिए।
उपकरणों की जरूरत की अनदेखी
ट्रैक्टर की असली क्षमता इस बात पर भी निर्भर करती है कि वह किन-किन इम्पलीमेंट्स (जैसे रोटावेटर, सीड ड्रिल, हार्वेस्टर) को चला सकता है। कई किसान बिना भविष्य की जरूरत समझे ट्रैक्टर खरीद लेते हैं और बाद में उपकरणों के इस्तेमाल में परेशानी आती है। इससे या तो खराब प्रदर्शन मिलता है या नए उपकरण खरीदने में अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है।
केवल कीमत देखकर निर्णय लेना
अक्सर किसान सस्ते ट्रैक्टर के लालच में क्वालिटी, माइलेज और ब्रांड की विश्वसनीयता को नज़रअंदाज कर देते हैं। शुरुआत में भले ही पैसे बच जाएं, लेकिन खराब क्वालिटी वाले ट्रैक्टर लंबे समय तक बार-बार मरम्मत और रखरखाव का कारण बनते हैं। इससे खेती का खर्च बढ़ता है और उत्पादकता घटती है।
सर्विस और स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता को नजरअंदाज करना
ट्रैक्टर एक लंबे समय का निवेश है और इसकी कार्यक्षमता सर्विस और स्पेयर पार्ट्स पर निर्भर करती है। कई किसान इस पहलू को अनदेखा कर देते हैं और बाद में सीजन के समय ट्रैक्टर बंद पड़ जाता है। इसलिए किसानों को हमेशा ऐसे ब्रांड का चुनाव करना चाहिए जिनका सर्विस नेटवर्क और स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता आसान हो।
आराम और सुरक्षा फीचर्स को नज़रअंदाज करना
किसान लंबे समय तक खेतों में ट्रैक्टर चलाते हैं, लेकिन सीट की एडजस्टेबिलिटी, पावर स्टीयरिंग, सुरक्षा गार्ड और लाइटिंग जैसी सुविधाओं को नजरअंदाज कर देते हैं। एक आरामदायक और सुरक्षित ट्रैक्टर न केवल उत्पादकता बढ़ाता है बल्कि थकान और दुर्घटनाओं की संभावना को भी कम करता है।
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